हरियाणा के महेंद्रगढ़ में पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं के समक्ष ऐलान कर दिया कि उन्हें पार्टी का फैसला मंजूर है और वो पार्टी के साथ खड़े रहेंगे। इससे पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चंद चौधरी और जिला प्रभारी शंकर धुप्पड़ उनको मनाने के लिए उनके आवास पर पहुंचे। इसके अलावा पार्टी प्रत्याशी कंवर सिंह यादव भी सुबह उनके सतनाली आवास पर मनाने के लिए पहुंचे थे।
कार्यकर्ताओं ने लगाए खट्टर और भाजपा मुर्दाबाद के नारे
मीटिंग के दौरान पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा और कार्यकर्ता भावुक हो गए। कार्यकर्ताओं ने उनके समक्ष खट्टर मुर्दाबाद और भाजपा मुर्दाबाद के नारे लगाए। कार्यकर्ताओं ने कहा कि जिस व्यक्ति ने हरियाणा में पार्टी को खड़ा किया, वो उसी की नहीं हुई, तो आम कार्यकर्ता की कैसे होगी? अब वो कहां जाएंगे?
55 साल में डंडा, झंडा और एजेंडा नहीं बदला
पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि उनका 55 साल का संघर्ष रहा है। इस दौरान मैंने डंडा नहीं बदला, झंडा नहीं बदला और एजेंडा नहीं बदला। भावुक होकर कहा कि मुझे कमजोर न करें। आपको मेरे ईमान की कसम, मेरे जयराम भगवान की कसम, आप मुझे भावुक होकर कमजोर न करें और नहीं तो मैं टूट जाऊंगा। जिंदगी 10 साल या 15 साल की है, मुझे अंत में उस झंडे के साथ ही रहने दीजिए। मीटिंग में सभी कार्यकर्ता भावुक हो गए।
अंतिम चुनाव लड़ने की थी इच्छा
उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी एवं चुनाव प्रभारी को खरी खोटी सुनाई। पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा हरियाणा भाजपा के दिग्गज नेता के रूप में जाने जाते हैं और वह यहां से पांच बार विधायक रह चुके हैं। पार्टी के दो बार प्रदेश अध्यक्ष एवं तीन बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। 2014 में उनके नेतृत्व में भाजपा ने हरियाणा में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। उनकी इच्छा थी कि वह पार्टी की ओर से अपना अंतिम चुनाव लड़े।
उनको उम्मीद थी कि पार्टी उनको अवश्य टिकट देगी, इसलिए वो भाजपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन भी कर आए थे, लेकिन पार्टी ने उनकी टिकट काट कर कंवर सिंह यादव को दे दी।